1. प्रकृति और मनु ष्य के बीच बहुत गहरा संबंध है। मनुष्य का जीवन पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर है | हम अपनी आवश्यकता की लगभग सभी चीजें प्रकृति से प्राप्त करते हैं | लाखों वर्षों पूर्व जब मनुष्य का ज्ञान एक पशु से अधिक नहीं था तब भी मनुष्य जीवन के लिए आवश्यक सभी चीजें प्रकृति से ही प्राप्त करता था | आज जब हम विज्ञान की ऊँचाइयों को छू रहे हैं तब भी हमारी आवश्यकता की पूर्ती प्रकृति से ही होती है |प्रकृति का मनुष्य जीवन में इतना महत्त्व होते हुए भी हम अपने लालच के कारण उसका संतुलन बिगाड़ रहे हैं | प्रकृति ने जो कुछ पैदा किया वह फ़िजूल नहीं है क्योंकि हर जीव का अपना महत्व है। वनस्पति से लेकर जीवाणुओं, कीड़े-मकोड़ों और मानव तक की जीवन प्रक्रिया को चलाए रखने में अपना अपना योगदान रहा है।
2आज जब बाढ़ आती है, सूखा पड़ता है, तो सभी बिलखने लगते हैं, चीख पुकार मच जाती है, सरकार विरोधी नारे लगने लगते हैं, कुछ भगवान को भी कोसने लगते हैं। मगर किसी ने नहीं सोचा कि ऐसा होता क्यों है? हमारी अधिकांश समस्याएं हमारे द्वारा ही पैदा की गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक आंकड़े के मुताबिक, भारत में लगभग 9.7 करोड़ लोगों को पीने का साफ पानी नसीब नहीं होता, लेकिन यह आंकड़ा महज शहरी आबादी का है।ग्रामीण इलाकों की बात करें, तो वहां 70 फीसदी लोग अब भी प्रदूषित पानी पीने को ही मजबूर हैं। एक मोटे अनुमान के मुताबिक, पीने के पानी की कमी के चलते देश में हर साल लगभग छह लोग पेट और संक्रमण की विभिन्न बीमारियों की चपेट में आकर दम तोड़ देते हैं।
3.कहने को त ो भारत नदियों का देश है, लेकिन विडंबना यह है कि 70 प्रतिशत नदियाँ जानलेवा स्तर तक प्रदूषित हैं। इसका असर पर्यावरण के साथ लोगों पर भी पड़ रहा है। कई नदियों का अस्तित्व बचाना मुश्किल हो रहा है। तापमान में बढ़ोत्तरी के कारण दुनिया भर में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। जलवायु बदलाव के फलस्वरूप इंडोनेशिया में भयंकर सूखा पड़ा, अमेरिका में सैलाब आया। भारत की स्थिति तो और भी भयावह है। हमारे यहाँ प्रतिवर्ष 15 लाख हेक्टर वन नष्ट हो रहे हैं, जबकि प्रतिवर्ष वन लगाने की अधिकतम सीमा 3 लाख 26 हजार हेक्टर है। यही हाल रहा तो आगामी कुछ दशकों में हमारी धरती वन-विहीन हो जाएगी।
4 .आज मनुष्य प्रकृति को ही चुनौती देने लगा है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और ज ीव-जंतुओं के अस्तित्व को मिटाने की कोशिश की जा रही है। वनों का तेजी से विनाश उद्योगों की स्थापना तथा ऊर्जा ज़रूरतों की पूर्ति के लिए प्रकृति के असंतुलन के खतरे की भी परवाह नहीं है। इसके शुरूआती दुष्परिणाम मनुष्यों के साथ जीव-जंतुओं के बढ़ते संघर्ष के रूप में देखे जा सकते हैं। यही स्थिति रही तो हमारी आने-वाली पीढ़ी का भविष्य अंधकारमय है |पृथ्वी को बचाना भी असंभव होगा| प्रकृति में असंतुलन के कारण आज मौसम जिस तरह से बदल रहा है उसका नतीजा बहुत भयावह हो सकता है |
6.प्राकृतिक संसाधन भी अब धीरे-धीरे खत्म हो चले हैं | अतः आज यह अनिवार्य हो गया है कि हम हर उस गतिविधि पर रोक लगाए जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है | तभी हम अपनी आने वाली पीढ़ी को एक सुरक ्षित भविष्य दे पाएँगे | एक कहावत भी है- कर भला तो हो भला। प्रकृति के साथ चलने का अर्थ केवल आज नहीं, कल और परसों के बारे में सोचना भी है। विकास का अर्थ बड़ा घर और गाड़ी; बिजली, पानी और अन्य सुविधाओं का अधिक उपभोग; कपड़े, गहने या जूतों से भरे कमरे नहीं है। विकास का अर्थ है मानव और प्रकृति के बीच संतुलन। भगवान ने हमारी तरह ही पशु-पक्षी और पेड़-पौधों को भी बनाया है। इनके साथ सामंजस्य बनाकर चलने का काम सृष्टि में सबसे अधिक बुद्धिमान प्राणी होने का दावा करने वाले मनुष्य का ही है।https://sachkahoon.com/human-greed-is-causing-harm-to-nature/http://icsehindi.com/essay-on-environment-in-hindi/ (शब्द सीमा - 640 शब्द)
Stimuli 2
1 point
1
Question 1
1.
(Strand 1) (Stimuli 1 )
प्रश्न 1- पाठांश आधार पर बताएं कि दिया गया वाक्य सही है या गलत, कारण सहित अपने उत्तर को सत्यापित कीजिए - (2 विचार )
(क) - मनुष्य का जीवन पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर है |
(ख) -प्रकृति ने जो कुछ पैदा किया वह फ़िजूल है।
1 point
1
Question 2
2.
(Strand 1) (Stimuli 1 )
प्रश्न 2 -परिच्छेद 2 एवं 3 के आधार पर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
(क) विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक आंकड़े के मुताबिक, भारत में लगभग_____________ लोगों को _______________________ नसीब नहीं होता, लेकिन यह आंकड़ा महज शहरी आबादी का है।
(ख) कहने को तो भारत ______________ है, लेकिन विडंबना यह है कि ______________ नदियां जानलेवा स्तर तक प्रदूषित हैं।
(ग) हमारे यहाँ प्रतिवर्ष _________________ वन नष्ट हो रहे हैं, जबकि प्रतिवर्ष वन लगाने की अधिकतम सीमा _____________________ है।
1 point
1
Question 3
3.
(Strand 1) (Stimuli 1 )
प्रश्न 3- विकास का अर्थ क्या नहीं है ? (1 विचार )
1 point
1
Question 4
4.
(Strand 1) (Stimuli 2 )
प्रश्न 4 -छवि को उचित शीर्षक देते हुए कारण सहित उत्तर की पुष्टि करें। (2 विचार )
1 point
1
Question 5
5.
(Strand 2) (Stimuli 1 & 2)
प्रश्न 5- प्रस्तुत पाठांश में जानकारी को किस प्रकार व्यवस्थित किया गया है ? उचित विकल्पों का चुनाव कर कारण सहित उत्तर की पुष्टि करें |(2 विचार)
शीर्षक एवं उप-शीर्षक के माध्यम से
परिच्छेदों के माध्यम से
चित्रों के माध्यम से
1 point
1
Question 6
6.
(Strand 2) (Stimuli 2 )
प्रश्न 6-"प्रकृति हमारी सभी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध करवाती है, लेकिन हमारे लालच को पूरा करने के लिए नहीं।" प्रस्तुत कथन एवं छवि के माध्यम से चित्रकार क्या समझाने का प्रयास कर रहे हैं ? (2 विचार)
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1
Question 7
7.
(Strand 2) (Stimuli 1)
प्रश्न 7- पाठांश को उचित शीर्षक दें तथा उदाहरण/ कारण देकर पाठांश के साथ संबंध भी बताएँ। (2 विचार)
1 point
1
Question 8
8.
(Strand 3) (stimuli 1 & 2)
प्रश्न 8 - “मनुष्य द्वारा प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।” प्रस्तुत वाक्य पर अपने विचार व्यक्त कीजिए|(2 विचार)
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1
Question 9
9.
(Strand 3) (Stimuli 1&2 )
प्रश्न 9- "प्राकृतिक संसाधन भी अब धीरे-धीरे खत्म हो चले हैं |" प्रस्तुत वाक्य का समर्थन करते हुए उदाहरण सहित उत्तर दीजिए | (2 विचार)
1 point
1
Question 10
10.
(Strand 3) (Stimuli 1 & 2 )
प्रश्न 10 -“कर भला तो हो भला।” प्रस्तुत कथन पर पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए अपने विचार व्यक्त कीजिए। (2 विचार)